Navneet ji

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    • #14525 Reply
      Mayuri Apte
      Guest

      1. Sir important question is will my husband be always listening to his family or will he be listening to me aswell???????
      My cousin is facing this issue, her husband Doesn’t listen to her but to his family..neither she has good terms with her in laws…
      2. what about my relations with my in laws ???
      26/10/1991
      5.05 am – 5.25 am
      Nagpur

    • #14548 Reply
      Mayuri
      Guest

      Below is a Mantra for Early Marriage
      तब जनकक पाई वसिष्‍ठ आयसु ब्‍याह साज संवारि कै।
      मांडवी श्रुतकीरति उरमिला कुआरि लई हंकारि कै।

      Is it ok to recite it???
      Sir from when to when(number of days, any particular starting day), how many times a day I need to recite it??
      I found it in ur blog….

    • #14559 Reply
      Mayuri
      Guest

      sir!!!!!

    • #14693 Reply
      Mayuri Apte
      Guest

      Below is a Mantra for Early Marriage
      तब जनकक पाई वसिष्‍ठ आयसु ब्‍याह साज संवारि कै।
      मांडवी श्रुतकीरति उरमिला कुआरि लई हंकारि कै।

      Is it ok to recite it???
      Sir from when to when(number of days, any particular starting day), how many times a day and for how many days do I need to recite it??
      I found it in ur blog….

    • #14710 Reply
      Navneet Khanna
      Keymaster

      This is a Shri Ramcharitmanas mantra – given below is the method to do the mantra.

      श्री रामचरित मानस के सिद्ध ‘मन्त्र’

      मानस के दोहे-चौपाईयों को सिद्ध करने का विधान यह है कि किसी भी शुभ दिन की रात्रि को दस बजे के बाद अष्टांग हवन के द्वारा मन्त्र सिद्ध करना चाहिये। फिर जिस कार्य के लिये मन्त्र-जप की आवश्यकता हो, उसके लिये नित्य जप करना चाहिये। वाराणसी में भगवान् शंकरजी ने मानस की चौपाइयों को मन्त्र-शक्ति प्रदान की है-इसलिये वाराणसी की ओर मुख करके शंकरजी को साक्षी बनाकर श्रद्धा से जप करना चाहिये।

      एक दिन हवन करने से वह मन्त्र सिद्ध हो गया। इसके बाद जब तक कार्य सफल न हो, तब तक उस मन्त्र (चौपाई, दोहा) आदि का प्रतिदिन कम-से-कम १०८ बार प्रातःकाल या रात्रि को, जब सुविधा हो, जप करते रहना चाहिये।

      मन्त्र

      “तब जनक पाइ वशिष्ठ आयसु ब्याह साजि सँवारि कै।
      मांडवी श्रुतकीरति उरमिला, कुँअरि लई हँकारि कै॥”

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