जन्म कुण्डली में बृहस्पति शुभ होता हुआ भी शुभ फल प्रकट ना कर रहा हो तो निम्नलिखित उपाय करना चाहिए-
- पञ्चांग दिवाकर में लिखी विधि अनुसार पुखराज नग वीरवार को सोने या चाँदी की अँगूठी में धारण करना। इसके अभाव में हल्दी की गाँठ पीले रंग के धागे में बाँध कर दाई भुजा में बाँधना।
- सताईस गुरुवार केसर का तिलक लगाना तथा केसर की पुड़िया पीले रंग के कपड़े या कागज में अपना पास रखना शुभ होगा।
- स्वयं पीले रंग के वस्त्रों का प्रयोग करना तथा घर में पीले रंग के पर्दे लगाना।
- केसर का तिलक हर गुरुवार को माथे पर लगाना तथा स्वयं भी केसर युक्त वस्तुओं का प्रयोग करना।
- घर में पीले सूरजमुखी फूलों के पौधे लगाना शुभ होगा।
- गुरुवार को धर्म स्नान(भगवान् विष्णु) मंदिर में लड्डुओं का भोग लगाना, स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करना।
- सुवर्ण की चेनी एवं गुरु का यन्त्र धारण करना।
कुण्डली में गुरु आदि अशुभ्कारी हो अथवा-
गुरु के अशुभ प्रभाव के निवारण हेतु निम्नलिखित मुख्यतः प्रतिपादित किये गए हैं-
- चलते पानी में बादाम एवं नारियल बहाना लाभदायक होगा।
- ‘पञ्चांग दिवाकर’ में लिखी विधि अनुसार गुरुवार का वृत रखना तथा गुरु यंत्र धारण करना।
- धर्म स्नान में गुरु की वस्तुएं जैसे सुवर्ण, कांस्य पात्र, घी, पीला वस्त्र, केले आदि फल, हल्दी, बेसन (दाल चना), धर्म ग्रंथ आदि पुस्तकों का दान करना।
इनमें से कोई एक वस्तु भी पीले कपड़े में लपेट कर दे सकते हैं।
- शराब, माँस आदि का प्रयोग न करना तथा अपना चाल-चलन नेक रखना।
- पीले वस्त्रों एवं सुवर्णादी आभूषण पहनना।
- श्री विष्णु उपासना एवं दुर्गा उपासना करना तथा कन्याओं के पूजन उपरांत मिष्ठान्नादी की भेंट देना।
- पीपल के वृक्ष को गुरुवार एवं शनिवार को जल देना।
- बड़े बुजुर्गों एवं श्रेष्ठ जनों की सेवा करना तथा सदाचरण करना लाभदायक होगा।