गण्डमूल दोष क्या है।
बच्चे के जन्म के साथ ही सबसे पहले परिवार के मुखिया यह जानने के लिए उत्सुक रहते हैं कि बच्चा गण्डमूल (सगनी) तो नहीं है। 27 नक्षत्रों को 9-9 भागों में बांटा है प्रत्येक भाग का पहला एवं 9वां नक्षत्र गण्डमूल नक्षत्र कहलाता है। इन नक्षत्रों में बालक या बालिका का जन्म अशुभ माना जाता है। पिता को 27 दिन तक नवजात शिशु का मुंह नहीं दिखाना चाहिए अन्यथा यह समय बच्चे के लिए कष्टदायी बताया गया है। जन्म के लगभग 27 या 28 दिन बाद उसी नक्षत्र काल में विद्वान एवं योग्य ब्राह्मण द्वारा शांति करवानी चाहिए। यदि जन्म के समय शांति न करवाई गई हो तो, जातक के जन्मदिवस के नजदीक उसी नक्षत्र में गण्डमूल शांति, पूजन, दानादि करवा लेना शुभ कारक होता है।
गण्डमूल नक्षत्र कौन से है।
रेवती, अश्विनी, आश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा एवं मूल- ये छः नक्षत्र गण्डमूल नक्षत्र कहलाते हैं। कुछ क्षेत्रों में रेवती, अश्विनी और आश्लेषा को छोटा मूल भी कहते हैं। इस छः गण्डमूल नक्षत्रों में उत्पन्न जातक स्वयं अपने या माता-पिता के स्वास्थ्य, व्यवसाय एवं उन्नति आदि के संबंध में अशुभ होते हैं। इस स्थिति में शांति कर्म और शिवार्चना अनिवार्य हैं।